Acharya Balkrishna

पतंजलि विश्वविद्यालय तथा एम्स ऋषिकेश के मध्य एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर

पतंजलि विश्वविद्यालय तथा एम्स ऋषिकेश के मध्य एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर एमओयू योग व आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने हेतु कारगर साबित होगाः आचार्य बालकृष्ण दोनों संस्थानों के समन्वय से देश व विश्व की जनता को मिलेगा भरपूर लाभ: प्रो. रविकान्त

     हरिद्वार, 19 दिसम्बर 2017। आज एम्स (ऑल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैडिकल साइंस), ऋषिकेश तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के मध्य एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। इसका उद्देश्य दोनों संस्थान के मानव संसाधन एवं तकनीकि का आदान-प्रदान करना है जिससे शिक्षण व अनुसंधान को बल मिल सके। पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति (मैंने) तथा एम्स ऋषिकेश की ओर से एम्स के डॉयरेक्टर एवं सीईओ प्रोफेसर रविकान्त तथा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को सम्बोधित करते हुए मैंने कहा कि एम्स, ऋषिकेश की तकनीकि एवं वैज्ञानिक क्षमता को पतंजलि विश्वविद्यालय की योग, आयुर्वेद एवं अन्य मूल्यपरक शिक्षाओं के साथ जोड़कर वैज्ञानिक शोध के माध्यम से आगे बढ़ाया जा सकता है। यह सर्वसाधारण को स्वास्थ्य लाभ दिलाने में तो सहायक होगा ही साथ ही योग व आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने हेतु कारगर साबित होगा। बैठक में एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकान्त ने कहा कि एम्स ऋषिकेश के वैज्ञानिकों का समूह एवं तकनीकि इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि को प.वि.वि. में शोध एवं शिक्षण के सशक्तिकरण हेतु निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा जिससे पतंजलि के पास निहित विषयगत ज्ञान के भण्डार को वस्तुगत एवं वैध कराकर भारतीय आयुर्विज्ञान एवं संस्कृति को ऊँचा उठाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि पतंजलि ज्ञान का अकूत भण्डार है। दोनों संस्थानों के समन्वय से निश्चित ही देश व विश्व की जनता को इसका भरपूर लाभ मिलेगा। मैंने निदेशक महोदय को पतंजलि के चिकित्सकीय तंत्र की व्यापकता तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अन्तर्गत संचालित विविध अनुसंधानात्मक गतिविधियों के विषय में अवगत कराया व बताया कि एम्स ऋषिकेश के साथ सहकार्य को आदर्श रूप में स्थापित कर देश में व्याप्त सभी एम्स के साथ जोड़कर इस कार्य को व्यापक स्वरूप दिया जायेगा। ​इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश की ओर से प्रो. वर्तिका सक्सेना, डॉ. मिनाक्षी, डॉ. अनविता सिंह एवं श्री हरीश थपलियाल एवं पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. वाचस्पति कुलवंत, प्रोफेसर परन गौड़ा, डॉ. रूद्र भण्डारी आदि उपस्थित रहे।